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टोडर मल जैन की हवेली का जीर्णोद्धार कर उसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए
जीन्द : अखिल भारतीय अग्रवाल समाज हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष डा. राजकुमार गोयल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से मांग की है कि साहिबजादो के अंतिम संस्कार के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दुनिया की सबसे महंगी जमीन खरीदने वाले दीवान टोडर मल जैन की पंजाब के सरहिन्द स्थित खंडहर हवेली का जीर्णोद्धार कर उसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए। गोयल पूरे देश में 21 दिसंबर से 27 दिसम्बर तक मनाए जा रहे बलिदानी सप्ताह के तहत आयोजित कार्यक्रम में एक बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर संस्था के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सावर गर्ग, महासचिव रामधन जैन, मुख्य सलाहकार सुभाष डाहोलिया, कोषाध्यक्ष पवन बंसल, संगठन सचिव दीपक गर्ग इत्यादि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
गोयल का कहना है कि टोडर मल जैन ने सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह के दोनों बेटे जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत के समय उनके अंतिम संस्कार के लिए सरहिंद में दुनिया की सबसे महंगी जमीन खरीदी थी। गुरू गोविन्द सिंह के दोनों बेटों को दीवार में चिनवाने के बाद नवाब उनके अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं दे रहा था। नवाब ने शर्त रखी थी कि अंतिम संस्कार के लिए जितनी जगह चाहिए उतनी जगह में सोने की मोहरे बिछानी पडेगी तब पार्थिव शरीर मिलेगा। ऐसे में 26 दिसम्बर 1704 को टोडर मल ने राष्ट्र धर्म निभाते हुए दोनो बेटों व उनकी दादी गुजरी देवी के पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के लिए सोने की मोहरे बिछानी शुरू कर दी। ऐसे में नवाब का लालच और बढ गया और उसने शर्त रखी की सोने की मोहरे बिछाने की वजह खड़ी करनी पडेगी। टोडर मल ने यह शर्त भी मान ली और अपना सब कुछ दाव पर लगाकर सोने की मोहरों के बदले जमीन लेकर इन तीनों महान विभूतियों का अंतिम संस्कार करवाया। बताते है कि इसके लिए दीवान टोडर मल को सिर्फ 4 गज जगह के बदले 78 हजार सोने के सिक्के देने पडे। इसके लिए दीवान टोडर मल को अपनी सारी जमीन जायदाद और हवेली तक को त्यागना पड़ा। यह आज तक की दुनिया की सबसे महंगी जमीन की कीमत थी।
गोयल का कहना है कि टोडर मल जैन ने सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह के दोनों बेटे जोरावर सिंह और फतेह सिंह की शहादत के समय उनके अंतिम संस्कार के लिए सरहिंद में दुनिया की सबसे महंगी जमीन खरीदी थी। गुरू गोविन्द सिंह के दोनों बेटों को दीवार में चिनवाने के बाद नवाब उनके अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं दे रहा था। नवाब ने शर्त रखी थी कि अंतिम संस्कार के लिए जितनी जगह चाहिए उतनी जगह में सोने की मोहरे बिछानी पडेगी तब पार्थिव शरीर मिलेगा। ऐसे में 26 दिसम्बर 1704 को टोडर मल ने राष्ट्र धर्म निभाते हुए दोनो बेटों व उनकी दादी गुजरी देवी के पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के लिए सोने की मोहरे बिछानी शुरू कर दी। ऐसे में नवाब का लालच और बढ गया और उसने शर्त रखी की सोने की मोहरे बिछाने की वजह खड़ी करनी पडेगी। टोडर मल ने यह शर्त भी मान ली और अपना सब कुछ दाव पर लगाकर सोने की मोहरों के बदले जमीन लेकर इन तीनों महान विभूतियों का अंतिम संस्कार करवाया। बताते है कि इसके लिए दीवान टोडर मल को सिर्फ 4 गज जगह के बदले 78 हजार सोने के सिक्के देने पडे। इसके लिए दीवान टोडर मल को अपनी सारी जमीन जायदाद और हवेली तक को त्यागना पड़ा। यह आज तक की दुनिया की सबसे महंगी जमीन की कीमत थी।